पृष्ठभूमि

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भारत में पवन ऊर्जा का प्रयोग काफी प्रगति कर चुका है जो अंतर्राष्‍ट्रीय विकास के समतुल्‍य है तथा निजी क्षेत्र पिछले एक दशक से नवीन एवं नवीकरणीय मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा निर्दिष्‍ट पथ पर सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। राज्‍य नीतियों एवं एमएनआरई के समर्थन द्वारा पवन पवर के विकास के लिए राज्‍य विद्युत शक्ति बोर्ड द्वारा पवर शून्‍यीकरण के साथ तैयार की गई नीति ने भारत को विश्‍व पवन ऊर्जा मानचित्र पर स्‍थान प्रदान किया है।

देश में मूल परंपरागत संसाधनों के अनुपूरक के रूप में पवन ऊर्जा क्षेत्र में विकास को सतत बनाए रखने तथा भारत को पवर क्षेत्र में स्‍वावलंबी बनाने के लिए मंत्रालय, अनुसंधान एवं विकास कार्य, बृहत् स्‍तर पर निरूपित करने तथा गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों विसरित करने के लिए मूलभूत अवरसंरचनाएं, संस्‍थानों एवं संसाधनों का विकास करने की योजना बना रहा है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने उक्‍त महत्‍त लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की ओर अग्रणी कदमों रखने तथा देश में पवन ऊर्जा के उपयोग की गति बढ़ाने एवं दीर्घकालिक विकास में होनेवाली चुनौतियों का सामना करने के लिए चेन्‍नई में भारत सरकार के अंतर्गत एक स्‍वायत्‍त अनुसंधान एवं विकास संस्‍थान के रूप में राष्‍ट्रीय पवन ऊर्जा संस्‍थान (नीवे) की स्‍थापना की है।

इसके अतिरिक्‍त तमिलनाडु के तूत्‍तुकूडी जिले में कायथर में डैनिडा, डेनमार्क सरकार के तकनीकी एवं आंशिक वित्‍तीय समर्थन के साथ संस्‍थान के एक अभिन्‍न अंग के रूप में पवन टरबाइन परीक्षण स्‍टेशन स्‍थापित किया गया है।

यह प्रत्‍याशा की जाती है कि नीवे, देश में पवन ऊर्जा के विकास की वृद्धि करने के लिए एक उत्‍कृष्‍ट तकनीकी केन्‍द्र बिन्‍दु के रूप में सेवाएं प्रान करेगा।