मुख्य पृष्ठ - विभाग - नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं और सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण
सौर ऊर्जा की अत्यधिक संभावनाओं और महत्व को समझते हुए भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के द्वारा देश में सौर ऊर्जा ऊर्जा उद्योग को समृद्ध करने हेतु वर्ष 2010 में राष्ट्रीय सौर ऊर्जा ऊर्जा मिशन (NSM) का शुभारम्भ किया गया। इस शुभारम्भ का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को कम करने के वैश्विक प्रयासों को पूर्ण करने के लिए पारिस्थितिक रूप से स्थायी विकास को समृद्ध करना है। वर्ष 2011 तक देश में उच्च गुणवत्ता वाली भूमि को मापित करने और सौर ऊर्जा विकिरण आँकड़ों की उपलब्धता अविश्वसनीय और अपर्याप्त थी। आँकड़ों के सीमित संसाधन भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) स्टेशनों और उपग्रह आँकड़ों के द्वारा संकलित और प्रकाशित किए जाते रहे हैं। देश में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में आर्थिक दृष्टि से योग्य और निवेशक ग्रेड भूमि मापन का कार्य किया गया जिसमें सौर ऊर्जा आँकड़ों की गैर-उपलब्धता एक बड़ी समस्या थी। इन समस्याओं के समाधान हेतु वर्ष 2010 में राष्ट्रीय विकिरण संस्थान (GRA), DNI, DHI और संबद्ध मौसम संबंधी मानकों के अंतर्गत सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण (SRRA) स्टेशनों के नेटवर्क की स्थापना के लिए राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान के माध्यम से चरणबद्ध पद्धति से एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान में एक विशेष सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण प्रभाग की स्थापना की गई। सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण के प्रथम चरण के कार्यक्रम के अंतर्गत 51 सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण स्टेशनों को 10 राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में संस्थापित किया गया; और वर्ष 2013 में स्वीकृत द्वितीय चरण के अंतर्गत अन्य 60 सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण स्टेशनों को पूर्ण भारत के 17 राज्यों और 3 संघ शासित प्रदेशों में संस्थापित किया गया है। सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण स्टेशनों के अतिरिक्त, 4 उन्नत मापन स्टेशनों को विभिन्न वायुमंडलीय घटकों के कारण सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण स्टेशनों के विशिष्ट क्षीणन एकत्र करने के लिए देश में द्वितीय चरण के अंतर्गत संस्थापित किया गया है। राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान के द्वारा विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण निगरानी नेटवर्क संस्थापित किया गया है, जो पूर्ण भारत में 115 स्थानों में फैला हुआ है। इन 115 स्टेशनों से जीआईडब्ल्यूएस तकनीक से उच्च रिज़ोल्यूशन के आँकड़ों को प्रति एक मिनट में राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान में संस्थापित किए गए सर्वर के माध्यम से प्राप्त किया जाता है और आँकड़ों को विश्वसनीय बनाने के लिए आँकड़ों की शुद्धता हेतु, अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार, एक पूर्ण स्वचालित गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र भी संस्थापित किया गया है। सौर ऊर्जा विद्युत संयंत्रों के विकास के लिए, उच्च गुणवत्ता वाला भूमि मापन सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन आँकड़ों का होना आवश्यक है।
एक विशिष्ट सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन स्टेशन में, एक 1.5 मीटर ऊँचा और एक 6 मीटर ऊँचा, 2 टॉवर होते हैं। 1.5 मीटर ऊँचे टॉवर में एक सौर ऊर्जा ट्रैकर, एक पाइरोलीमीटर और 2 पायरोमीटर (छायांकन डिस्क सहित) क्रमशः प्रत्यक्ष, वैश्विक और विस्तृत विकिरण को मापने के लिए सुसज्जित होते हैं। 6 मीटर ऊँचे टॉवर में मौसम संबंधी सेंसर होते हैं जिसके परिणामस्वरूप परिवेश का तापमान, सापेक्ष आर्द्रता, वायुमंडलीय दबाव, हवा की गति और दिशा, बारिश गिरने और अत्याधुनिक आँकड़ा अधिग्रहण प्रणाली का मापन किया जा सकता है। सौर ऊर्जा सेंसर विश्व विकिरण केंद्र और विश्व रेडियोमीट्रिक संदर्भ (WRC / WRR) और मौसम संबंधी सेंसर क्रमशः विश्व मौसम संगठन (WMO) के लिए अनुमार्गणीय होते हैं। सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण स्टेशन स्वतंत्र संचालन के लिए सौर ऊर्जा द्वारा संचालित होते है और इनमें एक सप्ताह के लिए विद्युत स्वायत्तता होती है। एक ट्रिगर स्विच भी दैनिक आधार पर स्टेशन की सफाई की स्थिति को देखने के लिए सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण स्टेशन का ही एक अंश होता है। मई 2011 से जून 2014 की अवधि में देश में 29 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में एक सौ ग्यारह ( 111) सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण स्टेशनों का प्रचालन किया गया है। सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण स्टेशनों के द्वितीय चरण में आकाशीय विद्युत नियंत्रित करने और ऊर्जा मीटर को शामिल करने के अतिरिक्त दोनों चरणों में उपयोग किए जाने वाले सेंसर / उपकरणों की विशिष्टताएं समान हैं। आँकड़ा के नमूनाकरण का संग्रह प्रति 1 सेकंड है और बुनियादी आँकड़ा औसत प्रति 1 मिनट है।
विभिन्न वायुमंडलीय घटकों के कारण सौर ऊर्जा विकिरण के स्थान विशिष्ट क्षीणन की मात्रा निर्धारित करने के लिए, देश में चार उन्नत मापन स्टेशन, क्रमशः उत्तर, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में, क्रमशः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, हरियाणा राज्य में गुरुग्राम स्थित राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (NISE), पश्चिम बंगाल राज्य में हावड़ा स्थित भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (IIEST), तमिलनाडु राज्य में तिरुवल्लुर स्थित मैसर्स प्रथ्युषा इंजीनियरिंग कॉलेज (PEC) और गुजरात राज्य में गांधी नगर स्थित गुजरात ऊर्जा अनुसंधान और प्रबंधन संस्थान (GERMI) में एक-एक उन्नत मापन स्टेशन संस्थापित किए गए हैं। जैसा कि प्रकीर्णन और अवशोषण आदि तरंग दैर्ध्य विशिष्ट हैं, सौर ऊर्जा स्पेक्ट्रम विश्लेषण के लिए दस स्वतंत्र संकीर्ण तरंग दैर्ध्य चैनलों का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक तरंग दैर्ध्य में सभी तरंग दैर्ध्य के एक साथ मापन करने हेतु एक स्वतंत्र कोल्लीमेटॉर और डिटेक्टर होता है। उन्नत मापन स्टेशन वायुमंडल के एयरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ (AOD), पृथ्वी की सतह (Albedo) की पुनरावृत्ति, आने वाली लंबी तरंग विकिरण (स्काई विकिरण) और अनुसंधान एवं विकासात्मक उद्देश्य के लिए वायुमंडलीय दृश्यता के विषय में जानकारी प्रदान करने के लिए भी सुसज्जित है।
राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान , सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण प्रभाग, के द्वारा नई दिल्ली स्थित मैसर्स GIZ के तकनीकी समर्थन से, एक स्वदेशी सौर ऊर्जा पूर्वानुमान मॉडल विकासित किया गया है।
राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान, सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण प्रभाग, के द्वारा नई दिल्ली स्थित मैसर्स GIZ GmbH, जर्मनी स्थित मैसर्स फ्राउनहोफर IWES, और ICF अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से भारत में ‘ आभासी विद्युत संयंत्र ’ (VPP) की एक अवधारणा व्यवहार्यता अध्ययन का शुभारम्भ किया गया है। उपर्युक्त ‘ आभासी विद्युत संयंत्र ’ एक विकेंद्रीकृत नेटवर्क है , मध्यम पैमाने पर विद्युत उत्पादन करने वाली इकाइयाँ हैं, जिसमें पवन ऊर्जा टरबाइन क्षेत्र, बायोमॉस और सौर ऊर्जा पार्कों के साथ-साथ अदृढ़ विद्युत उपभोक्ता एवं बैटरियाँ हैं; उपर्युक्त सयंत्र प्रायः वितरित उत्पादन प्रणालियों का एक समूह होते हैं, और एक केंद्रीय प्राधिकरण के द्वारा इनकी व्यवस्था की जाती है।
प्ररूपी - सौर ऊर्जा विकिरण संसाधन निर्धारण स्टेशन | उन्नत मापन स्टेशन |
अंशांकन प्रयोगशाला |
एटलस DHI | एटलस DNI | एटलस GHI |